‘2012 की तुलना में हमने 2015 (मध्य वर्ष) में लगभग 12000 माताओं का जीवन बचाया है। पहले प्रसव के दौरान हर वर्ष 44000 माताओं की मृत्यु हो जाती थी, लेकिन अब यह आंकड़ा घटकर केवल 32000 के स्तर पर आ गया है। Via Press Information Bureau http://www.pib.nic.in
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