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हिंदी में बात करती है ये जापानी ब्यूटीशियन, जानवरों को ऐसे देती है ग्लैमरस लुक

हिंदी में बात करती है ये जापानी ब्यूटीशियन, जानवरों को ऐसे देती है ग्लैमरस लुक




बीकानेर। बीकानेर के एक गांव में एक जापानी लड़की ऊंट के फरों की कटिंग कर तरह-तरह के चित्र उकेर रही है। उसने ऊंट के शरीर पर विश्वप्रसिद्ध जूनागढ़ किला कोटगेट, देशनोक की करणीमाता और गढ़ गणेश के चित्र भी बनाए हैं। वह बीकानेर में 13 जनवरी से होने वाले अंतरराष्ट्रीय ऊंट उत्सव के लिए खास तौर पर आई है। वह पिछले कुछ सालों से लगातार यहां आ रही है। इतना ही नहीं यह विदेशी युवती ने हिंदी में बात करती है।
जापान की मे मेमूगी ताके इची पिछले कुछ माह से बीकानेर में है। उसने हुसंगसर गांव में मेघवालों की ढाणी को अपनी कार्यस्थली बना रखा है। मेगूमी ताके इची जापान में ब्यूटीशियन का काम करती है। अपने इसी हुनर का उपयोग वह अंतरराष्ट्रीय ऊंट उत्सव में भाग लेने वाले ऊंटों को सजाने में कर रही है। तीन महीने की मेहनत के बाद ऊंट के शरीर पर बीकानेर का इतिहास, दर्शन और लोक कलाएं नजर आने लगी हैं। खास बात यह है कि मे मेमूगी ताके इची अपने इसी शौक के लिए पिछले चार साल से यहां आ रही है।
फर कटिंग में हिस्सा लेगा मेगूमी का ऊंट
मेगूमी ताके इची का ऊंट भी बीकानेर के अन्य ऊंट पालकों के साथ फर कटिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लेगा। इसे मेमूगी की लगन ही कहा जाएगा कि वह ऊंट को तैयार करने के लिए तीन माह पहले ही जापान से आ जाती है।
मेगूमी ने फर कटिंग में 2016 और 2017 में दूसरा स्थान हासिल किया था। हालांकि बीकानेर के कई ऊंट पालक फर कटिंग प्रतियोगिता में भाग लेते हैं, लेकिन एक विदेशी युवती का केवल इसी काम के लिए यहां आना भी कोई कम बात नहीं है।
ये भी हैं ऊंट उत्सव की तैयारियों में
ऊंट उत्सव की तैयारियां जोरों पर है। अक्कासर में रामलाल कूकणा और श्रवण राम भी ऊंट के फर कटिंग कर शिव व कृष्ण लीला के साथ हिरण, बाज और गाय-सांड की आकृतियां बना रहे हैं। वहीं मूंडसर के बीरबलराम फर कटिंग कर लोकदेवता रामदेव के साथ तेजाजी व गणेश के चित्र उकेर रहे हैं।
अक्कासर का रामलाल जीत चुका है 10 पुरस्कार
अक्कासर के रामलाल ने अब तक 10 पुरस्कार जीत लिए हैं। इसमें ऊंट की साज-सज्जा से लेकर फर कटिंग तक के पुरस्कार शामिल हैं। रामलाल कूकणा ने सात बार फर कटिंग में प्रथम व साज-सज्जा में तीन बार रनरअप का खिताब हासिल किया है। ये पुरस्कार उसे बीकानेर ऊंट महोत्सव, पुष्कर मेले व जैसलमेर के सम के धोरों पर होने वाले फेस्टिवल के लिए मिले हैं।